प्रदेश में बिजली उत्पादन का जिम्मा एचपीजीसीएल यानी हरियाणा बिजली उत्पादन निगम करता है । बिजली उत्पादन के लिए देश और विदेशों से कोयला मंगवाया जाता है । निगम  मैटल स्क्रैब ट्रेडिंग कार्पोरेशन से विदेशी कोयला खरीदतता है । एचपीजीसीएल ने एक महीना पहले विदेशों से 250 करोड रूपए का कोयला खरीदा था । लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी एचपीजीसीएल कोयले का भुगतान नहीं कर पा रहा है । प्रदेश का कोयला बंदरगाह पर ही अटका हुआ है । पैसा जुटाने में निगम के पसीने छुट रहे है । प्रदेश के पावर प्लांटों में 48 हजार टन घरेलू कोयले की खपत है । प्लांटों में इस्तेमाल होने वाले कोयले में से 20 प्रतिशत विदेशी कोयला होता है । कोयले के भुगतान का झंझट हर महिने निगम को सताता है । लेकिन निगम टोटे का रोना रो रहा  है । बिजली कंपनियां  पर 16000 करोड का कर्ज है । गर्मी के दिनों में तो बिजली की खपत और ज्यादा बढने वाली है । तो ऐसे में तो यही लगता है घाटे में चल रहा निगम कोयले कैसे खरीदेगा…….बिना कोयला कैसे होगा बिजली उत्पादन । 

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