किसानों और गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले जननायक चौधरी देवीलाल का जन्म 25 सितम्बर,1914 को सिरसा के तेजा खेड़ा गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम शुगना देवी और पिता का नाम लेखराम सिहाग था। देवीलाल का वास्तविक नाम देवी दयाल था। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा चौटाला गांव में और मिडिल परीक्षा डबवाली के सरकारी स्कूल से पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए मोगा शहर के एसडी स्कूल में प्रवेश लिया। देवीलाल पंजाब के बादल गांव के एक अखाड़े में कुश्ती के प्रशिक्षित पहलवान भी थे।
चौधरी देवीलाल सशक्त और क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी होने के साथ-साथ निर्भिक, पराक्रमी, बेहद साहसी और मानवता के पुजारी थे। वे अन्याय और अत्याचार का मुकाबला करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे और शोषित किसान, गरीब, मजदूर, छोटे दुकानदार और ग्रामीण समुदाय के प्रति उन्हें गहरा प्रेम था। वे सही अर्थों में गांधीवादी होने के साथ-साथ बेहद सरल, सादा, तप, त्याग और संघर्ष की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने जीवन में कभी हार-जीत की परवाह नहीं की और बड़े से बड़े पद को ठोकर मारने में भी संकोच नहीं किया।
6 अप्रैल,2001 को नई दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हृदय गति रुक जाने से चौधरी देवीलाल का निधन हो गया था। चौधरी देवीलाल का पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा। देवीलाल आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका बुजुर्गाना अंदाज, मीठी झिड़कियां सही रास्ते की विचारधारा की सीख के रूप में जो कुछ वो देकर गए हैं, वो सदैव हमारे बीच रहेगा।