पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट के फैसले से बीस हजार शिक्षकों का भविष्य अधर में लटक गया है। कोर्ट ने भर्ती परिणाम पर रोक लगा दी है। एक याचिका में भर्ती बोर्ड पर सवाल उठाए गये हैं। मामले की अगली सुनवाई तेरह मई को होगी। प्रदेश में करीब बीस हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर कानूनी विवाद में उलझ गई है। हरियाणा स्कूल शिक्षक चयन बोर्ड की भर्ती प्रक्रिया को विजय बंसल ने याचिका दायर कर चुनौति दी थी। इसपर वीरवार को सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने भर्ती परिणामों की घोषणा करने पर ही रोक लगा दी है। इन पदों में करीब दस हजार पीजीटी शिक्षक और अन्य शिक्षकों की भर्तियां अन्य वर्गों में की जानी है। इस मामले में अगली सुनावाई तेरह मई को है। भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगने से हजारों उम्मीदवारों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। चयनित पीजीटी उम्मीदवार हाइकोर्ट के फैसले को चुनौति दे सकते हैं। हरियाणा स्कूल शिक्षक चयन बोर्ड द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया को चुनौति देते हुए मामले में याचिका कर्ता विजय बंसल ने कहा था कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत ऐसे पदों में नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए भर्ती प्रक्रिया राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से करनी चाहिए। मामले में हरियाणा स्कूल शिक्षक चयन बोर्ड द्वारा परिमाणों की घोषणा पर रोक लगाते हुए हाइकोर्ट ने इस मामले पर हरियाणा सरकार से भी जवाब मांग लिया है। याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में बार बार सरकारों ने भर्तियों में अपने हस्तक्षेप से हरियाणा लोक सेवा आयोग को लगभग निष्क्रिय कर दिया गया है। सिर्फ दस प्रतिशत सरकारी पदों पर ही आयोग भर्ती कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि पहले ग्रुप ए और बी की भर्ती हरियाणा लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाती थी। लेकिन राजनीतिक कारणों से ये भर्तियां हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने कीं। इसके बाद सरकार ने नियमों के खिलाफ शिक्षा विभाग के ए बी और सी वर्ग के चयन के लिए हरियाणा शिक्षक भर्ती चयन बोर्ड बनाया गया।
याचिका में ये हैं आरोप
बोर्ड के चेयरमैन नंद लाल पुनिया मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार हैं। एक सदस्य जगदीश प्रसाद सीपीएस राव दानसिंह के भाई हैं। दूसरे सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस मुख्यमंत्री के सांसद बेटे के टीचर रह चुके हैं। याचिका में कहा गया है कि बोर्ड के पदाधिकारियों की नियुक्ति सही तरीके से नहीं की गई। इससे, निष्पक्ष भर्ती पर सवाल खड़े होते हैं।