पिछले सालों की तुलना में इस बार गेहूं के फसल की पैदावर कम होने का अनुमान है। किसानों की माने तो इस बारे गेहूं का उत्पादन बारह से सोलह क्विंटल प्रति एकड़ की दर से हुआ है। जो पिछले सालों की तुलना में काफी कम है। गेहूं की पैदावर कम होने की वजह से भूसे के दाम आसमान छू सकते हैं। भूसा अभी एक सौ से डेढ़ सौ रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है। वहीं गेहूं का सीजन खत्म होते ही इसके रेट साढ़े तीन सौ रूपए तक जा सकते हैं। भूसे की किल्लत होने से ना केवल किसान बल्कि पशु-पालक भी परेशान हैं। डेयरी संचालकों के चेहरों पर भी शिकन देखी जा सकती है। गेहूं की फसल कमजोर होने से भूसा महंगा होगा…. जिसका सीधा असर पशुओं के चारे पर पड़ेगा। यहां तक दुधारू पशुओं के दामों में भी कमी आ सकती है। फिलहाल, भूसे की किल्लत की समस्या पर पार पाने के लिए किसान दूसरे विकल्प ढूंढ रहे हैं। किसान अपनी खेतों में हरा चारे को बोना शुरू कर दिया है। जिससे उन्हें पूरे साल पशु चारे की संकट से जूझना ना पड़े।

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