मेवात के स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया की रोकथाम के लिए कमर कस ली है। इसके लिए विभाग ने बीमारी को फैलने से रोकने और मरीजों की जांच के लिए तमाम तैयारियां पहले से ही कर ली हैं।  मेवात के स्वास्थ्य विभाग की मानें तो मलेरिया अब पूरे जिले के लिए चिंता की बात नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया से लड़ने के लिए पांच टीमें बनाई हैं। इसमें 25 स्वास्थ्य कर्मचारी… पांच डॉक्टर्स की अगुआई में काम करेंगे। साल 2011 में मलेरिया ने पूरे मेवात को अपने जाल में जकड़ लिया था। पूरे जिले में मलेरिया के 1567 केस सामने आए थे। इनमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने इसी से सीख लेते हुए अपनी कोशिशें शुरू कर दी थी और इसका नतीजा साल 2012 में ही सामने आया। साल 2012 में मलेरिया के 1317 केस सामने आए… और मरने वालों की संख्या में भी गिरावट आई। डॉक्टर्स ने मलेरिया के पीएफ यानि प्लाज मोडियम फेल्सीपेरम वायरस को सबसे खतरनाक मलेरिया जीवाणु बताया है। मेवात के 30 गांवों को मलेरिया जोन बताया गया है। क्योंकि ये गांव उजीना ड्रेन के पास पड़ते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 30 जून तक एक विशेष अभियान की भी चलाया हुआ है… इसके तहत पिछली बार के मलेरिया पीड़ित लोगों के ब्लड टेस्ट किए जा रहे हैं। मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को कुछ निर्देश भी दिए हैं। मेवात के स्वास्थ्य विभाग ने अपनी ओर से मलेरिया की रोकथाम के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं। अब देखना ये होगा कि मलेरिया की रोकथाम में स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें कितना कारगर साबित होती हैं।

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