भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता, एकमात्र कवि जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। विश्वविख्यात कवि, और एक बड़े दार्शनिक… हम बात कर रहे हैं रविन्द्रनाथ टैगोर की… आज उनकी 152वीं जयंति है। टैगोर का जन्म आज ही के दिन यानि 7 मई,1861 को कलकत्ता के जोड़ासांको में हुआ था। रविन्द्रनाथ टैगोर की आरंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई। टैगोर ने बैरिस्टर बनने की चाहत में साल 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया। उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की लेकिन साल 1880 में बिना डिग्री हासिल किए ही वापिस आ गए। रविन्द्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएं औऱ कहानियां लिखने का शौक था। उनके पिता देवेन्द्रनाथ ठाकुर एक जाने-माने समाज सुधारक थे। रविन्द्रनाथ टैगोर को प्रकृति से बेहद लगाव था। वे गुरुदेव के नाम से लोकप्रिय थे। भारत आकर उन्होंने फिर से लिखने का काम शुरू किया। रविन्द्रनाथ टैगोर एक बांग्ला कवि, गीतकार और संगीतकार थे। उन्हें साल 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन औऱ बांग्लादेश का राष्ट्रीयगान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएं हैं। रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाओं में मानव और ईश्वर के बीच का स्थायी संपर्क कई रूपों में उभरता है। उन्होंने दो हजार से अधिक गीतों की रचना की। रवींद्र संगीत बांग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत से प्रभावित उनके गीत मानवीय भावनाओं के विभिन्न रंग पेश करते हैं। अपनी पत्नी, दो बेटीयां, एक बेटा और एक जवान नाती की मौत ने रविंद्रनाथ को तोड़कर रख दिया था… इसी गम को झेलते हुए 7 अगस्त 1941 को देश का ये हीरा भी हमे छोड़कर चला गया। लेकिन उनकी रचना राष्ट्रिय गान हर दिन हमें उनकी याद दिलाता है।