महज़ पांच महीने पहले वजूद में आए मेवात के इस बस डिपो में कुछ भी ठीक-ठाक नहीं है। बसों के लिहाज से डिपो में चौरासी ड्राइवर्स होने चाहिए, लेकिन ड्राइवर्स की संख्या महज चव्वालीस है। इस वजह से तीस बस हर समय डिपो में ही खड़ी रहकर इसकी शोभा बढ़ाती हैं। इन बसों के डिपो में खड़े रहने से होने वाले नुकसान की अगर बात की जाए तो रोडवेज को हर महीने एक करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान हो रहा है। बस अड्डा इंचार्ज इक़बाल की मानें तो डिपो से रोज़ाना ढाई लाख रुपये के आसपास की कमाई होती है। ये कमाई तब है जब क़रीब तीस बसें रोज़ाना डिपो से बाहर निकलती ही नहीं हैं।

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