जमाना बदल चुका है,, बदलते जमाने में हर कोई बदलने की कोशिश कर रहा है लेकिन दहेज के लोभियों की सोच वैसी की वैसी है। दहेज की मांग कर वो आज भी अपनी बहुओं पर सितम ढाते रहते हैं। गुड़गांव में एक महिला के दर्द की कहानी,,,, तो यही कहती है। महिला की इस हालत के जिम्मेदार कोई गैर नहीं,, बल्कि अपने हैं,, वो अपने जिसने शादी से पहले कई सब्जबाग दिखाए थे। पति पीटता है,, सास-ससुर दहेज के लिए ताने मारते हैं,, नौबत यहां तक आती है कि उसे घर से बाहर कर दिया जाता है। औलाद की चाहत तो हर किसी को होती है,, लेकिन यहां तो पति ने ही पत्नी पर एबॉशर्न कराने के लिए दबाव डाला,,हालांकि एक मां की ममता,,उसके आगे नहीं झुकी और अपने बच्चे को जन्म दिया। हद तो तब हो गई जब एक पिता को अपनी ढेढ़ साल की बेटी पर भी रहम नहीं आया और 22 मई को पत्नी के साथ-साथ उसे भी बुरी तरह पीटा।