सूरज झुलसा रहा है, आसमान से आग बरस रही है और ऐसे में गांवों में ही अगर पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़े तो समझा जा सकता है जिंदगी कितनी बेहाल है. जी हां ऐसे ही हालात है मेवात जिले के करीब 70 फीसदी गांवों के….मेवात के ज्यादातर गांवों में पानी की किल्लत है, यहां या तो पानी है नहीं और है भी तो खारा जिसे ना तो इंसान भी सकता है और न  ही जानवर. पानी के लिए लोगों को दूर दराज की खाक छानन पड़ती है, हालात ये हैं कि टैंकरों से पानी लेते हैं और जेब ढीली होती है। पानी नहीं है, गांवों में बीमारियां फैल रहीं है. सबसे ज्यादा खतरा डायरिया से है, गांव के लोग परेशान है कि आखिर करें तो करें क्या। पानी कि किल्लत से गांव वाले भले ही जूझ रहे हो, लेकिन पानी के टैंकर कारोबारियों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रहे हैं।गांवों के कुएं भी जबाव दे चुके हैं. ग्रामीण परेशान हैं, पानी तक नसीब नहीं हो रहा है, गांव के लोगों की मांग है कि सरकार उनकी सुध लें.

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