खरखौदा के सरकारी स्कूलों में दाखिले के दो महीने बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं। इससे जहां बच्चों को पढ़ाई में दिक़्क़त आ रही है वहीं अभिभावकों के साथ साथ अध्यापकों को भी इस बात की चिंता सता रही है कि बच्चों का सिलेबस समय पर पूरा कैसे होगा। किताबों की कमी अब अभिभावकों की भी चिंता बन गयी है। बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना संजोने वाले माता पिता ऐसे में सोचने पर मजबूर हैं। बच्चों का भी कहना है कि किताब नहीं मिलने से उनकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है औऱ वो स्कूल में आकर सिर्फ खेल में समय बिता रहे हैं। एक ओर तो सरकार… स्कूलों में बच्चों की तादाद बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये की योजनाएं चला रही है… वहीं दूसरी ओऱ इन्ही स्कूलों में किताबें ही नहीं पहुंची है। कुछ दिन बाद छुट्टियां शुरू हो जाएंगी और बच्चे सारी छुट्टियां सिर्फ़ खेलों में बिता देंगे।