हांसी के सामान्य अस्पताल में रविवार को जो कुछ देखने को मिला वो बेहद हैरान कर देने वाला था। झगड़े में घायल कापड़ो गांव के चार लोगों को उनके परिवारवाले अस्पताल लेकर पहुंचे थे… लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें ये कहकर वापस भेज दिया कि उनका गांव सिसाय पीएचसी के अंतर्गत आता है। इसलिए वे वहां इलाज कराएं। मरता क्या ना करता… परिवार के लोग घायलों को गाड़ी में लेकर सिसाय पहुंचे… लेकिन वहां प्राइमरी हेल्थ सेंटर को ताला लगा मिला। थक हारकर परिवार के लोग घायलों को लेकर दोबारा हांसी पहुंचे… अस्पताल में वही डॉक्टर मिला और उससे वहीं जवाब। अस्पताल के बाहर गाड़ी में तड़प रहे घायलों के परिवारवालों का सब्र टूट गया और उन्होंने हंगामा खड़ा कर दिया। मामला मीडिया तक पहुंचा और दबाव के चलते डॉक्टर ने घायलों का इलाज शुरू कर दिया। जब इस बारे में अस्पताल के डॉक्टर से बात की गई तो… तो जनाब ने कैमरे के आगे से मुंह ही फेर लिया। डॉक्टर का फ़र्ज़ होता है कि बीमार या जख़्मी व्यक्ति का सबसे पहले इलाज किया जाए… ना कि उसका गांव और इलाक़ा देखकर उसे दूसरी जगह रेफ़र करना। अब सवाल ये उठता है कि अगर डॉक्टर्स या अस्पताल प्रशासन भी सीमाओं को ध्यान में रखकर इलाज करेंगे… तो सड़क हादसों या इमरजेंसी वाले मरीज़ों की जान कैसे बच पाएगी।