मेवात की नहरें पिछले दस सालों से सूखी पड़ी है। अगर पानी आता है भी है तो वो भी महज बारिश के मौसम में…. लिहाजा किसान परेशान है। एक तो भूमिगत जल स्तर में गिरावट, ऊपर से सूखी नहरें.. ऐसे में सवाल उठता है आखिर किसान खेती करें तो करें कैसे…। इतना ही नहीं… एक तो पानी नहीं मिलता ऊपर से हर छह महीनों में आबयाना… यानि नहरी पानी से सिंचाई करने पर जो कर लगता है वो अदा करना पड़ता है…. अगर नहीं करते तो जब किसान पटवारी के पास अपने कोई जमीनी कागजात या किसी और काम से जाता है तो काट लिया जाता है। किसानों से सिंचाई का कर वसूलने की जिम्मेदारी गांव के नंबरदारों की होती है लेकिन वो तो खुद परेशान हैं… किसान आबयाना नहीं देते… जिसका खामिय़ाजा उन्हे खुद भुगतना पड़ता है।