जिन किसानों की जमीन बंजर है, और भूमिगत जल खारा है तो अब उन्हें परेशान की जरुरत नहीं है… क्योंकि ऐसे किसान अपनी बेकार पड़ी जमीन पर अब झींगा मछली का पालन कर सकते हैं… इसी के तहत रोहतक के किसान भी आजकल अपनी बंजर पड़ी जमीन पर झींगा मछली का उत्पादन कर रहे हैं… नाबार्ड और केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान की मदद से झींगा मछली की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि बंजर जमीन में झींगा का उत्पादन फायदे का सौदा है। झींगा मछली का उत्पादन करने में किसानों की मदद कर रहा है, केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान… जिनका रोहतक में भी एक रिसर्च केन्द्र है… संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि भूमिगत खारे पानी की वजह से बेकार पड़ी जमीन पर झींगा पालन किया जा सकता है। झींगा मछली की खेती सिर्फ समुद्री क्षेत्रों में होती है, लेकिन अब हरियाणा-पंजाब जैसे राज्यों में झींगा मछली पालन संभव है। नाबार्ड यानि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान सांझा सहयोग देकर ऐसे किसानों को पूरी-पूरी मदद दे रहे हैं। ये देश में पहली बार है जब तटीय क्षेत्रों से कोसों दूर मैदानी इलाकों में झींगा मछली का उत्पादन किया जा रहा है… बस इसके लिए मछलियों को समय पर खाना और ऑक्सीजन का ध्यान रखना बेहद जरुरी है।