साइबर सिटी गुड़गांव,,,भले ही दुनिया के मानचित्र पर अलग पहचान बना चुकी हो,,, लेकिन यहां की जमीनी हकीकत कुछ और ही है,,,यहां उंची इमारते तो बड़ी तेजी से बना दी गई हैं,,लेकिन विकास की रफ्तार बेहद धीमी है। यहां जाम से निजात दिलाने के लिए न तो फ्लाईओवर बन पा रहे हैं,,, न ही अंडरपास,,,,,काप ठप पड़ा है और नगर निगम के मेयर मजबूर हैं। प्रदेश में मेयर की पावर सीमित है,,,एक करोड़ से ज्यादा के काम करवा नहीं सकते,,,लिहाजा हाउस से प्रस्तारव पास कर कई प्रोजेक्टर स्थायनीय निकास विभाग को भेज चुके हैं,,,लेकिन इन प्रोजेक्ट्स की फाइलें चंडीगढ़ में धूल फांक रहीं हैं। मेयर से जब वजह के बारे में पूछा गया तो उन्हो नें इसे टेक्निल फॉल्टि बताया लेकिन अधिकारियों के सुस्तल तरीके से भी इंकार नहीं किया। गुडगांव में ठीक से विकास दिखाई नहीं देता है..चाहे बात सड़को की हो, किसी निर्माण कार्य की हो या फिर साफ स्वच्छ गुडगांव की। प्रशासन की लापरवाही हर तरफ नजर आती है और अब तो लोग उम्मी द भी खो चुके हैं,, कि यहां विकास का काम होगा। दरअसल गुड़गांव नगर निगम तीन साल पहले बना था तो उम्मी।द जगी थी कि विकास में तेजी आएगी,,,प्रदेश का सबसे अमीर नगर निगम होते हुए भी तीन साल बाद भी नगर निगम कोई खास योगदान नहीं दे पाया है,,और इसकी वजह है स्थाबनीय निकाय विभाग के अधिकारियों की लापरवाही।

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