लोगों के सेवक सेठ किशनदास का जन्म पच्चीस अगस्त 1926 को सेठ जगदीश राय और श्रीमती राजा देवी के घर हुआ था…किशनदास का बचपन बेहद ही खुशहाली में गुजरा…किशनदास के घर में हमेशा ही गीता और रामायण की चौपाइयां गूंजा करती थी…इन्हीं संस्कारों के बीच पले बढ़े किशनदास बेहद ही सरल, उदार और दानशील स्वभाव के थे….वो एक ऐसे महापुरुष थे जिनको लेकर आस्था हर किसी के दिल में थी और आज भी है. आजादी से पहले देश में शिक्षा के साधन सीमित ही थे, लेकिन फिर भी आपने दसवीं की कक्षा पास की…. किशनदास जी ने हमेशा अपने क्षेत्र के लोगों के कल्याण के लिए काम किए…गांधी जी की विचारधारा की उन पर गहरी छाप थी। बताया जाता है कि गांधी जी और जवाहर लाल नेहरु के साथ किशन दास जी ने जंगे आजादी की लड़ाई भी लड़ी…और शायद यहीं वजह रही की किशनदास जी को कांग्रेस पार्टी से गहरा लगाव था। साल 1972 में किशनदास जी रोहतक इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष बने….किशनदास जी का राजनीतिक सफर भी रोहतक से शुरु हुआ….उन्होंने साल 1972 में रोहतक विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की….1985 और 1996 में आप फिर से इसी विधानसभा क्षेत्र से चुने गए…1986 में किशनदास जी को बंसीलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया….एक वक्त ऐसा भी आया जब किशनदास ने हरियाणा सरकार में एक साथ आठ मंत्रालयों को संभाला और अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया…. साल 1976 में किशनदास जी को पदमश्री सम्मान से नवाजा गया….किशनदास जी ने गरीबों और बेसहारों के लिए अनेक धर्मशालाओं का निर्माण कराया…उन्होंने धर्मार्थ होम्योपैथिक अस्पताल खुलवाए, सिलाइ केंद्रों की स्थापना की, व्यामशालाओं और गउ शालाओं की स्थापना भी की….छब्बीस नवंबर 2010 को इस महापुरुष का निधन हो गया….भले ही आज सेठ किशनदास हमारे बीच ना हो….लेकिन आदर्शों, उदारता और दरियादिली के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा…

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