साल 2006 में राज्य सरकार ने ईंट भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए भट्ठों पर स्कूल चलाने का फैसला लिया था, लेकिन पिछले कई साल से ईंट भट्ठों पर कोई स्कूल नहीं चल रहा है. ईंट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि यहां कोई स्कूल नहीं चल रहा है, कोई यहां पढ़ाने के लिए नहीं आता है…वहीं विभाग के अधिकारियों का कहना है कि साल 2006 से 2011 के दौरान इन स्कूलों के लिए करोड़ों रुपए की ग्रांट आई थी जिसे बच्चों को शिक्षित करने में लगाया गया, लेकिन अब ये योजना बंद हो गई है. उधर इस बाबत सूबे की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि आरटीई लागू होने के बाद अब बच्चों को सरकारी स्कूलों में लाया जा रहा है और बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है।

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