आज पूर्व गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की पुण्य तिथि है। इस अवसर पर पूरे देश भर में रन फोर यूनिटी दौड़ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें लाखों लोग हिस्सा लेंगे। इसके तहत आज प्रदेश में भी रन फोर यूनिटी का आयोजन किया जा रहा है।

राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी, लौह-पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को नडियाद गुजरात के एक किसान परिवार में हुआ। वे झवेरभाई पटेल एवं लदबा की चौथी संतान थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया।

सरदार पटेल किसानों की आत्मा थे, स्वतन्त्रता आन्दोलन में उनका सबसे पहला और बडा योगदान था खेडा संघर्ष। गुजरात का खेडा डिविजन उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों द्वारा अंग्रेज सरकार से कर में भारी छूट की मांग को स्वीकारा नहीं गया। तब सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य कई लोगों ने किसानों का नेतृत्व कर उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।
बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिये ही उन्हे पहले बारडोली का सरदार और बाद में केवल सरदार कहा जाने लगा।

1920 के दशक में सरदार पटेल गांधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन के समय कांग्रेस में भर्ती हुए और उन्हे दो बार कांग्रेस के सभापति बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ। गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया। उन्हे उपप्रधान मंत्री एवं गृह मंत्री का कार्य सौंपा गया। किन्तु इसके बाद भी नेहरू और पटेल के बीच तनाव बना रहा। इसके चलते कई अवसरों पर दोनो ने ही अपने पद का त्याग करने की धमकी तक दे दी थी। गृह मंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता थी देसी रियासतों को भारत में मिलाना। इस कार्य उन्होंने बिना कोई खून बहाये सम्पादित कर दिखाया। केवल हैदराबाद के आपरेशन पोलो के लिये उनको सेना भेजनी पड़ी। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिये उन्हे भारत का लौह पुरूष भी कहा जाता है। 15 दिसंबर, 1950 को नवीन भारत के निर्माता सरदार पटेल अपने संघर्षों की उपज इस भारत और दुनियां को अलविदा कह गए। सन 1991 में मरणोपरान्त उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया ।

भारत के इस लौह- पुरूष को शत-शत नमन करता है।

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