कोसली और भाकली के बीच नामकरण को लेकर शुरु हुआ विवाद, थमने की बजाये बढ़ता ही रहा है। अब भाकली के युवाओं ने गांव को इसका हक दिलाने के लिए सघंर्ष समिति का गठन कर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है इसी के चलते भाकली में एक महापंचायत की गई, जिसमें आसपास के 70 गांवों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। महापंचायत में मौजूद गणमान्य लोगों ने कहा कि भाकली की जमीन पर बनी सभी राजकीय परियोजनाओं पर भाकली का ही नाम होना चाहिए और अगर प्रदेश सरकार ऐसा नहीं करती है तो उनके साथ भेदभाव होगा।
भाकली के लोग यहां के किसान भवन, सब्जी मंडी, साल्हावास रोड़ पर बने रेलवे ओवरब्रिज, अनाज मंडी, मार्किट कमेटी, रेलवे स्टेशन पर भाकली का नाम चाहते हैं। हालांकि, रेलवे स्टेशन और अनाज मंडी का उद्घाटन कोसली के नाम हो चुका है। 21 सदस्यीय गठित कमेटी ने फैसला लिया है कि अगर सरकार उनके गांव को अनदेखा करती है तो आगामी चुनाव में प्रदेश सरकार को उसका नतीजा भुगतना होगा। भाकली-कोसली सीमा पर बने किसान भवन का उद्घाटन रोहतक से सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा को 9 जनवरी को करना था… लेकिन दोनों गांवों के नामकरण विवाद ने उग्र रूप ले लिया… नतीजन 9 जनवरी को उद्घाटन कार्यक्रम को भी रद्द करना पड़ा था… जब बाद में उपायुक्त महोदय ने भाकली किसान भवन का उद्घाटन किया तो भाकली के ग्रामीण रोष में आ गये और उन्होंने कोसली के नाम किसान भवन पर लगे शिलान्यास पत्थर को ही तोड़ दिया वहीं, कोसली ग्राम पचांयत ने भी भाकली के लोगों के खिलाफ सरकारी संपत्ति को तोड़ने और मानहानि का मुकदमा दर्ज करवा दिया तभी से इस विवाद ने दोनों पक्षों में आर-पार की लड़ाई का रुप ले लिया है।

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