हर बार कठोर दिखने वाली पुलिस जगाधरी रेलवे स्टेशन पर कुछ ऐसी नजर आई कि न सिर्फ मां-बाप से बिछुड़े बच्चे को मिलवाया, बल्कि लोगों के लिए भी एक उदाहरण पेश किया।
29 अक्तूबर को जब पूर्वांचल के लोग छठ पर्व मना रहे थे। ऐसे में जीआरपी जगाधरी को रेलवे लाइन के समीप एक बच्चा लावारिस हालत में रोता हुआ मिला। बच्चे को रोता देखकर जीआरपी के पुलिस कर्मचारियों से उससे पूछताछ की तो पता चला कि बच्चा यूपी के बक्सर गांव में अपने घर से भागकर यहां पहुंचा है। इसके बाद जीआरपी ने वहां के स्टेशन मास्टर और वहां की जीआरपी से इस बारे में बात कर बच्चे का पता लगाने को कहा, लेकिन वह भी बच्चे का पता नहीं लगा पाए।
जीआरपी ने इस पर भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने फिर से बच्चे से पूछताछ की और दोबारा बच्चे का घर तलाश करने का प्रयास किया और इस बार उनका प्रयास सफल हो गया। बच्चे के घर का पता चलने पर पुलिस ने उसके परिवार वालों से बच्चे के दस्तावेज लेकर जगाधरी आने को कहा और यहां पहुंचने पर बच्चे को उनके हवाले कर दिया।
खूंखार से खूंखार अपराधी के सामने किसी भी प्रकार से नरमी न बरतने वाली हरियाणा पुलिस की मानवता यहां साफ देखने को मिली। जीआरपी के चाइल्ड प्रोटेक्शन अधिकारी जसविंद्र सिंह की माने तो 29 अक्तूबर को जब 10 साल का रिंकू उन्हें लावारिस हालत में मिला तो वह उसे लेकर थाने में आए और उससे अपने बच्चे की तरह पूछताछ की। इसके बाद उन्होंने बच्चे का मेडिकल चेकअप भी कराया और परिजनों के आने तक उसे रहने के लिए चाइल्ड लाइन में भेज दिया।
घर से भागकर जगाधरी पहुंचे 10 साल के रिंकू की मां राजों की माने तो 29 अक्तूबर को उनके बच्चे आपस में लड़ रहे थे। इस पर उसने रिंकू को डांटा था। उसके बाद से वह घर नहीं पहुंचा तो उन्होंने उसकी तलाश शुरू की थी, लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चला। बाद में पुलिस वालों ने उनके बच्चे के बारे में उन्हें जानकारी दी, जिसके बाद वह अपने बच्चे को लेने के लिए जगाधरी आए है।
आमतौर पर कठोर नजर आने वाली हरियाणा पुलिस के जवानों में भी एक आम इंसान का दिल और मानवता बसती है। जगाधरी जीआरपी द्वारा 10 साल के रिंकू को उसके मां-बाप से मिलाने के बाद जहां हरियाणा पुलिस का स्लोगन सेवा, सुरक्षा और सहयोग सार्थक सिद्ध हो रहा है। वहीं, जीआरपी के जवानों ने दूसरे पुलिस कर्मचारियों के लिए भी एक मिसाल पेश की है।