जगाधरीः अगर यमुनानगर प्रशासन की कोशिश रंग लाई तो लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी फिर से बहने लगेगी। प्रशासन ने नदी के उद्गम स्थल आदिबद्री से लेकर मुस्तफाबाद तब सरस्वती प्रवाह के स्थान पर 19 ग्राम पंचायतों को खुदाई के आदेश दिए हैं। सब योजना के मुताबिक चला तो एक बार फिर से इलाहाबाद में गंगा और यमुना के साथ सरस्वती का भी संगम होगा।

पूरे विश्व में केवल आदिबद्री ही एक ऐसा स्थान है जहां सरस्वती शिव की गोद में विराजमान दिखाई देती हैं और इसी लिए यहीं से सरस्वती का उद्गम स्थल माना गया है। सरस्वती के लुप्त होने और धरती के नीचे बहने के पीछे भी कई प्रकार की बातें प्रचलित हैं। इनमें एक के अनुसार सरस्वती को सतयुग में श्राप लगा था कि वो कलयुग में नहीं दिखेगी।

सरस्वती को लेकर साधु समाज की अलग ही राय है। वह भी यह चाहते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा बचाओं और गंगा शुद्धिकरण अभियान की तरह यमुना और सरस्वती को बचाने के लिए भी पहल करें।

संत समाज की माने तो आज हम जिन शब्दों का उचारण कर अपने मन की बात दूसरों को बताते है। वह भी सरस्वती की देन है, क्योंकि सरस्वती के शिव की गोद में बैठने के बाद ही शिव ने नटराज रूप में डमरू लेकर नाचना शुरू किया था, जिसके बाद शब्दों की उत्पति हुई थी। अब इसी पवित्र नदी को प्रशासन की ओर से एक बार फिर से धरातल पर लाने की कोशि शुरू किया गया है।

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