प्रदेश के किसान अभी तक जहाँ यूरिया की किल्ल्त से उभर भी नही पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बिकने वाले नकली खरपतवारनाशक दवाईयां भी किसानों की परेशानी बढ़ा रही है। उन्हेड़ी गांव के किसान का कहना है कि उसने अपनी 13 एकड़ गेंहू की फसल में करीब 10 दिन पहले खरपतवार को खत्म करने के लिए दवाई रखीदी थी।
जिसका उसने अपनी गेंहू की फसल में छिड़काव किया था। लेकिन छिड़काव के दो दिन बाद ही उसकी सारी गेंहू की फसल खराब हो गई। किसान का आरोप है कि कृषि अधिकारी नीजि कंपनियों से मिलीभगत के चलते नुकसान की सही रिर्पोट नहीं बना रहे हैं।
वही कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों की अनदेखी के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। कृषि विभाग के अधिकारीयों की मानें तो विभाग समय-समय पर ऐसी कम्पनियों के खिलाफ कार्यवाही करता है और दोषी पाए जाने पर उनपर न केवल जुर्माना किया जाता है बल्कि सजा का भी प्रावधान है।
काबिलेगौर है कि ये कोई पहला मामला नहीं है जब किसी खरपतार की दवाई की वजह से किसानों फसल खराब हो रही हो लेकिन ऐसे मामलों के संज्ञान में आने के बावजूद भी कृषि विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।