पहले गर्मी का मौसम आते ही कुम्‍हारों के चेहरे खिल उठते थे। उन्‍हें इस मौसम का बेसब्री से इंतजार होता था। गर्मी में उनकी चांदी हो जाती थी,, क्‍योंकि गर्मी आते ही मटकों की मांग बढ़ जाती थी, लेकिन अब ये बीते वक्‍त की बात हो गई है। बदलते जमाने में अब इन मटकों की जगह फ्रिज ने ले ली है और कुम्‍हारों का रोजगार बस नाम का रह गया है।  कुम्हारों का कहना है कि आधुनिकता के इस दौर में उनका पुश्तैनी मिट्टी के बर्तन बनाने का धंधा लगभग चौपट हो गया है। जिससे घर का खर्चा चलना भी मुश्किल हो रहा है । बेशक आज लोग आधुनिकता के इस दौर में सुविधाओं की ओर ही देखते हैं…और उन सुविधाओं ने लोगों की जिंदगी को आसान भी बना दिया है…लेकिन लोग ये भूल गए हैं कि इसी सुखसुविधाओं की वजह से समाज का एक तबका रोजी-रोटी के लिए मोहताज हो गया है…

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