लोहारू क्षेत्र का भूमिगत जल खेती लायक नहीं है। ये हम नहीं कह रहे… ये तथ्य वैज्ञानिकों के व्यापक विश्लेषण के बाद सामने आया है। वैज्ञानिकों की मानें तो इस क्षेत्र में भविष्य में अन्ना का एक दाना भी उगेगा। वैज्ञानिकों के इस सर्व से इलाक़े के किसान सकते में हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि भविष्य में वे अपना और अपने परिवार का गुज़ारा कैसे करेंगे। लोहारू के किसान परेशान हैं,, उनके माथे पर शिकन है,,। वो चिंता में हो भी क्‍यों न,, बात ही हैरान कर देने वाली है। दरअसल कृषि विशेषज्ञों के विष्‍लेषण में ये बात सामने आई है कि पूरे लोहारू क्षेत्र का भूमिगत जल खेती के लायक नहीं रह गया है। करनाल से कृषि विभाग के विशेषज्ञों की टीम आई थी। कनिष्ठ विज्ञान सहायक श्रीभगवान के नेतृत्व में पिछले एक सप्ताह के दौरान इस टीम ने अपनी मोबाइल प्रयोगशाला में लोहारू खंड के सभी गावों की कृषि योग्य भूमि के सैंकड़ों नमूनों का गहन और व्यापक विश्‍लेषण किया और जांच में लोहारू खंड के भूमिगत जल में रेजीड्यूअल सोडियम कार्बोनेट की मात्रा 1 से लेकर 10 तक पाई गई।  जबकि कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक उसी पानी को कृषि के लायक माना जाता है जिसमें आरएससी की मात्रा अधिकतम 1.25 तक हो।

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