प्रदेश का सबसे विकसित और आधुनिक जिला गुड़गांव लिंगानुपात के मामले से फिसड्डी साबित हुआ है… तो मेवात जैसा पिछड़ा इलाका कम से कम लिंगानुपात के मामले में सबसे आगे है. राज्य लिंगानुपात के मामले में देश में तीसवें नम्बर पर है। पिछले दस साल में हरे भरे हरियाणा का चेहरा तेज़ी से बदला है. करीब करीब हर क्षेत्र में राज्य ने तरक्की की है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य की विकास की दर भी अच्छी है. लेकिन राज्य में लड़के-लड़की में भेद की सोच ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है. ताज़ा जनगणना के मुताबिक़ प्रदेश में लिंगानुपात पिछले 10 साल में थोड़ा सा बढ़ा है. साल 2001 में सेक्स रेशो 861 था, जबकि 2011 के आंकड़ों के मुताबिक़ आठ सौ नवासी हो गई है, लेकिन इससे खुश होने की जरुरत नहीं है. 2001 में हम इस मामले में देश में 29 वें नम्बर पर थे और अब खिसकर 30वें पहुंच गए हैं. लिंगानुपात में मेवात जिला सबसे अव्वल है जहां 1000 पुरुषों के पीछे 907 महिलाएं हैं, जबकि सबसे कम लिंगानुपात गुड़गांव में है जहां 1000 पुरुषों के पीछे महज़ 854 महिलाएं हैं. फतेहाबाद में 902, रेवाड़ी में 898 है. सोनीपत में 856 और झज्जर में 862 है। पंचकुला जिले के लिंगानुपात में 50 अंकों का सुधार हुआ है. 2001 में लिंगानुपात 823 से बढ़कर 2011 में 873 हो गया है . ताज़ा आंकड़ों से ये साफ़ हो गया है की राज्य की समाज कल्याण मंत्री गीता भुक्कल का अपना इलाका भी लिंगानुपात के मामले में बहुत पिछड़ा हुआ है. सरकार ने लिंगानुपात को कम करने के ना जाने कितने प्रयास किये हैं लेकिन ऐसा लगता है सारे प्रयास नाक़ाम साबित हुए हैं। झज्जर में लिंगानुपात प्रदेश के औसत से कम है. यहां लिंगानुपात 862 है. धर्मनगरी कुरुक्षेत्र ने अपने ऊपर से लिंगानुपात में सबसे पिछड़े इलाके का ठप्पा हटा दिया है. अब जिले में लिंगानुपात 888 है. 2001 के मुकाबले जिले में इस मामले में बाइस अंकों का इजाफा हुआ है. पिछले दस साल में महेंद्रगढ़ में लिंगानुपात 918 से घटकर 895 रह गया है.

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