पूंडरी में अंग्रेजों के जमाने की बच्ची पनचक्की अपनी बदहाली के आंसू रो रही है। स्थानीय लोगों का सिंचाई विभाग पर इस पनचक्की की अनदेखी का आरोप है। वहीं सिंचाई विभाग इसके लिए पांच लाख रुपये की राशि पास होने का दावा कर रहा है। ऐसे में अब सिंचाई विभाग और जनता के बीच ये पनचक्की खुद ही पिसती जा रही है।

धौंस रोड पर बनी अंग्रेजों के जमाने की ये एकमात्र पनचक्की है। आज भी इस पनचक्की के आटे के लोग दिवाने है और कई किलोमीटर दूर से यहां पर आटा पिसवाने के लिए आते हैं स्थानीय लोगों के मुताबिक इस पनचक्की का आटा दूसरी चक्कियों के मुकाबले ठंडा होता है और इसके आटे की अलग ही खुशबू होती है।

सरकारी आंकड़ों की माने तो ये पनचक्की सिंचाई विभाग के अधीन आती है लेकिन सिंचाई विभाग पर इसकी देखरेख ना करने के भी आरोप है। वहीं दूसरी तरफ सिंचाई विभाग इस पनचक्की को अनमोल विरासत मान रहा है। सिंचाई विभाग की मानें तो इसके रखरखाव के लिए पांच लाख रुपये की राशि पास की गई है और विभाग इसकी पूरी देखरेख भी कर रहा है।

करीब एक सौ साल पुरानी ये पनचक्की अब सिंचाई विभाग की अनेदखी की वजह से अपना वजूद खोने के कगार पर है ऐसे में अब देखना होगा कि सिंचाई विभाग इस विरासत को बचाने के लिए कितनी जल्द कारगर कदम उठाता है।

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